Friday, May 24, 2019

ग्लोबल वॉर्मिंग को ख़त्म करने का मास्टर प्लान

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे रिसर्च केंद्र की योजना बनाई है जहां इस पृथ्वी को बचाने के नए रास्ते तलाशे जा सकें.
इस रिसर्च में ऐसे तरीकों की खोज की जाएगी जिससे ध्रुवों की पिघल रही बर्फ को फिर से जमाया जा सके और वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड निकाली जा सके.
इस केंद्र को इस लिए बनाया जा रहा है क्योंकि वर्तमान समय में पृथ्वी पर ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए उठाए जा रहे क़दम नाकाफ़ी लग रहे हैं.
यह पहल ब्रितानी सरकार के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार, प्रोफेसर सर डेविड किंग की ओर से कराई जा रही है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, ''आने वाले 10 सालों में हम जो भी करेंगे वह मानव जाति के अगले दस हज़ार सालों का भविष्य तय करेगा. इस दुनिया में ऐसा कोई भी एक केंद्र नहीं है दो इस बेहद महत्वपूर्ण विषय पर फ़ोकस हो.''
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के जलवायु वैज्ञानिक डॉक्टर एमिली शुकबर्ग ने कहा, ''नए सेंटर का मिशन जलवायु समस्या को हल करना होना चाहिए और हम उस पर विफ़ल नहीं हो सकते."
सेंटर फॉर क्लाइमेट रिपेयर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के कार्बन न्यूट्रल फ्यूचर्स इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व डॉक्टर शुकबर्ग कर रही हैं.
ये मुहिम सामाजिक वैज्ञानिकों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को एक साथ लाएगी.
डॉक्टर शुकबर्ग ने बीबीसी को बताया, "यह वास्तव में हमारे समय की सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है, और हम जानते हैं कि हमें अपने सभी कोशिशों के साथ इसका जवाब देने की आवश्यकता है.''
ध्रुवों की बर्फ़ दोबारा जमाना
ध्रुवों पर बर्फ़ को जमाने की कोशिशों में सबसे कारगर कदमों में से एक होगा इनके ऊपर पड़ने वाले बादलों को "चमकदार" करना है.
इसके लिए बेहद पतली नली के माध्यम से बिना मानव रहित जहाजों पर लगाया जाएगा और समुद्री पानी को को पंप से खींचा जाएगा.
इससे नमक के कण नली में आएंगे. इन नमक को बादलों तक पहुंचाया जाएगा. इससे बादल गर्मी को और भी ज़्यादा रिफ़्लेक्ट कर सकेंगे.
CO2 को रिसाइकल करना
जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक और अहम तरीका है ' कार्बन कैप्चर और स्टोरेज' जिसे सीसीएस कहते हैं.
सीसीएस में कोयले या गैस से निकालती कार्बन डाई ऑक्साइड को बिजली स्टेशनों या इस्पात संयंत्रों से इकट्ठा करना और इसे अंडरग्राउंड स्टोर किया जाता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शेफ़ील्ड के प्रोफ़ेसर पीटर स्ट्राइंग के मुताबिक दक्षिण वेल्स के पोर्ट टैलबोट में टाटा स्टील के साथ एक कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन (सीसीयू) पायलट योजना विकसित कर रहे हैं, जो प्रभावी रूप से CO2 को रिसाइकल करता है.
प्रोफ़ेसर स्टाइरिंग के अनुसार, इस योजना में एक संयंत्र की स्थापना की जाएगी जो फ़र्म के कार्बन उत्सर्जन को ईंधन में परिवर्तित करेगा. उन्होंने कहा. "हमारे पास हाइड्रोजन का एक सोर्स है, हमारे पास कार्बन डाइऑक्साइड का एक सोर्स है, हमारे पास गर्मी का एक सोर्स है. हम इसके जरिए रिन्यूएबल एनर्जी पैदा करेंगे. हम सिंथेटिक ईंधन बनाने जा रहे हैं."
इस तरह की योजनाओं में लोहे के कण के साथ समुद्र को खाद देना शामिल है. जो समुद्री वनस्पति के विकास को बढ़ावा देता है.
यॉर्क यूनिवर्सिटी के प्रो. कैलम रॉबर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में जो उपाय सामने आए हैं वो सीमाओं से परे तो हैं लेकिन मुमकिन हो तो उन पर तुरंत काम किया जाना चाहिए.
ऐसा इसलिए क्योंकि नुकसान और संभवतः अपरिवर्तनीय जलवायु परिवर्तन को रोकत पाना सीमाओं से परे माना जाता है.
'' मेरे करियर की शुरुआत में, लोगों ने कोरल लीफ़ को बेहतर करने के लिए समाधानों के सुझावों पर अपने हाथों खड़े कर दिए थे.अब सभी विकल्प सामने आया है."
समुंदर में जाने वाले अम्लों के असर को इन गर्मी रोधक कोरल और वनपस्तियों से ही कम किया जा सकता है.
वह आगे कहते हैं, '' फिलहाल, मुझे लगता है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिए प्रकृति का इस्तेमाल करना एक बेहतर तरीका है. लेकिन मैं एक बेहतर भविष्य की ओर हमें आगे बढ़ाने के लिए और प्रभावी कदम देख रहा हूं.''
इस तरह के आइडिया को में कई असफ़ल होने की आशंका रहती है साथ ही ये अव्यवहारिक भी साबित हो सकता है.
लेकिन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में समुद्र भौतिकी के प्रोफ़ेसर पीटर वाधम्स का मानना है कि इन विकल्पों का मूल्यांकन सही ढंग से किया जाना चाहिए. ताकि इसके नुकसान से बचा जा सके.
वो मानते हैं कि कार्बन उत्सर्जन कम करके अब इस समस्या से नहीं निपटा जा सकता.
उन्होंने कहा, ''अगर हम हर तरह के कार्बन उत्सर्जन कम कर दे तो भी इससे बस ग्लोबल वॉर्मिंग की गति ही धीमी की जा सकती है. इससे कुछ खास नहीं होगा क्योंकि ये धरती खुद बेहद गर्म हो चुकी है. ऐसे में क्लाइमेट रिपोयर ही प्रभावी होगा.''

Thursday, May 9, 2019

ماذا يحدث للجسم أثناء الصيام في شهر رمضان؟

يصوم ملايين المسلمين من مطلع الفجر إلى غروب الشمس لمدة 30 يوما خلال شهر رمضان.
ووافق حلول شهر رمضان في السنوات الأخيرة أشهر الصيف في نصف الكرة الشمالي، لذا أصبحت فترات النهار أطول مع حرارة الطقس.
ويعني ذلك أن بعض الدول، مثل النرويج، تشهد صياما يصل إلى 20 ساعة يوميا خلال شهر رمضان هذا العام.
والسؤال هل يمكن أن يكون ذلك جيدا على صحتك؟ فيما يلي ما يحدث للجسم أثناء الصيام لمدة 30 يوما.
وبعد ذلك تستعين أجسامنا بالغلوكوز المُخزن في الكبد والعضلات لتوفير الطاقة.
وبمجرد نفاد مخزون الغلوكوز في وقت لاحق أثناء فترة الصيام، تصبح الدهون المصدر التالي لتوفير الطاقة للجسم.
وعندما يبدأ الجسم في حرق الدهون، يساعد ذلك في إنقاص الوزن، وتقليل مستويات الكوليسترول، فضلا عن تقليل خطر الإصابة بمرض السكري.
بيد أن انخفاض مستويات السكر في الدم يسبب ضعفا وحالة خمول، وقد يصاب المرء بالصداع والدوار والغثيان وصعوبة التنفس.
يحدث ذلك عندما تصل مستويات الجوع إلى أشد درجاتها.
وبعد ذلك تستعين أجسامنا بالغلوكوز المُخزن في الكبد والعضلات لتوفير الطاقة.
وبمجرد نفاد مخزون الغلوكوز في وقت لاحق أثناء فترة الصيام، تصبح الدهون المصدر التالي لتوفير الطاقة للجسم.
وعندما يبدأ الجسم في حرق الدهون، يساعد ذلك في إنقاص الوزن، وتقليل مستويات الكوليسترول، فضلا عن تقليل خطر الإصابة بمرض السكري.
بيد أن انخفاض مستويات السكر في الدم يسبب ضعفا وحالة خمول، وقد يصاب المرء بالصداع والدوار والغثيان وصعوبة التنفس.
يحدث ذلك عندما تصل مستويات الجوع إلى أشد درجاتها.v
وبعد ذلك تستعين أجسامنا بالغلوكوز المُخزن في الكبد والعضلات لتوفير الطاقة.
وبمجرد نفاد مخزون الغلوكوز في وقت لاحق أثناء فترة الصيام، تصبح الدهون المصدر التالي لتوفير الطاقة للجسم.
وعندما يبدأ الجسم في حرق الدهون، يساعد ذلك في إنقاص الوزن، وتقليل مستويات الكوليسترول، فضلا عن تقليل خطر الإصابة بمرض السكري.
بيد أن انخفاض مستويات السكر في الدم يسبب ضعفا وحالة خمول، وقد يصاب المرء بالصداع والدوار والغثيان وصعوبة التنفس.
يحدث ذلك عندما تصل مستويات الجوع إلى أشد درجاتها.
ويضيف : "نأكل في حياتنا اليومية العادية الكثير من السعرات الحرارية، وهو ما قد يمنع الجسم من أداء المهام الأخرى بطريقة مناسبة، مثل الإصلاح الذاتي".
ويقول مهروف : "الصيام يصحح ذلك، على نحو يسمح للجسم بتوجيه الانتباه إلى وظائف أخرى. لذا يفيد الصيام الجسم عن طريق تسهيل الشفاء ومنع الالتهابات ومكافحتها".

التخلص من السموم، أيام 16 إلى 30 من الصيام

خلال النصف الأخير من شهر رمضان، يكون الجسم متكيفا تماما مع عملية الصيام.
ويخضع القولون والكبد والكلى والجلد الآن لفترة لعملية التخلص من السموم الآن.
يقول مهروف : "صحيا، في هذه المرحلة ، يجب أن تعود وظيفة العضو إلى أقصى أداء. قد تتحسن الذاكرة والتركيز وقد يتوفر المزيد من الطاقة".
ويضيف : "لا يجب أن يلجأ الجسم إلى البروتين للحصول على الطاقة. يحدث هذا عندما يدخل في حالة "الجوع الشديد" وتُستخدم العضلات للحصول على الطاقة، أثناء الصيام المتواصل لفترات طويلة من أيام إلى أسابيع".
ويقول مهروف : "بينما تمتد فترة الصيام في رمضان من الفجر حتى الغسق فقط، تتوافر فرصة كافية لإعادة تزويد أجسامنا بالأطعمة والسوائل التي تزودنا بالطاقة. ويحافظ ذلك على العضلات كما يساعد في إنقاص الوزن".
هل الصيام مفيد للصحة؟
يقول مهروف نعم، ولكن بشرط.
ويضيف : "يفيد الصيام صحتنا لأنه يساعدنا على أن نركز على نوع الطعام الذي نتناوله ومتى. ومع ذلك، على الرغم من أن فترة الصيام لمدة شهر فترة جيدة، فإنه لا يُنصح بالصيام لفترات أطول على نحو متواصل".
لا يدخل جسم الإنسان، من الناحية الفنية، في "حالة صيام" إلا بعد ثماني ساعات أو نحو ذلك من تناول آخر وجبة.